लोगों की राय

अमर चित्र कथा हिन्दी >> जादुई कुंज

जादुई कुंज

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :31
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1962
आईएसबीएन :1234567890123

Like this Hindi book 0

जादुई कुंज

जैन संतों की सामान्य जन के आध्यात्मिक विकास में गहरी रुचि थी। अतएव दुरूह जैन दर्शन को सामान्य बौद्धिक स्तर की जनता के लिए सुगम और बोधगम्य बनाने में उन्होंने कथाओं का माध्यम अपनाया।

संस्कृत और प्राकृत में ऐसी हजारों शिक्षाप्रद कथाएँ पायी जाती हैं।

अधिकांश कथाओं में यह शिक्षा निहित है कि अच्छे कर्मों से मनुष्य को सुख और समृद्धि और बुरे कर्मों से दुख भोगने पड़ते हैं। जैन दर्शन के अनुसार मनुष्य स्वयं अपने भाग्य का निर्माता है। जैसा बोयेगा वैसा काटेगा। जिसका वह पात्र नहीं है, वह उसे उपलब्ध कराने में कोई भी बाहरी शक्ति उसकी सहायता नहीं कर सकती और न ही जिसका वह अधिकारी है उसकी प्राप्ति से उसे वंचित रख सकती है।

फिर भी अन्य कथाओं की भॉति प्रस्तुत कथा में भी मनुष्य के भाग्य निर्माण में दैवी शक्ति का महत्वपूर्ण योग पाया जाता है। इसके विषय में केवल इतना ही कहा जा सकता है कि देवी शक्ति का सहारा भी तभी मिलता है जब मनुष्य के सत्कर्म उस योग्य होते हैं।

प्रस्तुत रचना जादुई कुंज जैन धर्मगन्थ 'वर्धमान देसना' से ली गयी है।

प्रथम पृष्ठ

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book